कार्यकर्ता भावना है
कार्यकर्ता साधना
कार्यकर्ता तो स्वयं ही
पुष्प बन भावार्चना
मातृभू की वंदना
कर मातृभू की वंदना ।।धृ।।
ध्येय अपना है सुनिश्चित
धारणा ध्रुव तारका सी
पूर्वजोंके विरव्रत की
प्रेरणा नीत पूर्णिमा सी
धर्म के आधार पर ही
कर विजय की योजना
मातृभू की वंदना
कर मातृभू की वंदना ।।१।।
संघभूमी उर्वरा है
बो दिया निज को धरा में
फैलती शाखा प्रशाखा
उभर आया तरु गगन में
फुल फल से बिनत तरु के
शक्ती की नव सर्जना
मातृभू की वंदना
कर मातृभू की वंदना ।।२।।
मैं नहीं तुम ही निरंतर
मंत्र जपता कार्यकर्ता
कंटको से पूर्ण पथपर
सहज चलता कार्यकर्ता
कार्यकर्ता जानता है
हर हृदय संवेदना
मातृभू की वंदना
कर मातृभू की वंदना ।।३।।
कार्यकर्ता भावना है
कार्यकर्ता साधना
कार्यकर्ता तो स्वयं ही
पुष्प बन भावार्चना
मातृभू की वंदना
कर मातृभू की वंदना ।।४।।
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