Sunday, August 25, 2019

जिसकी अविचल धर्मभावना

जिसकी अविचल धर्मभावना

जिसकी अविचल धर्मभावना
अविरत चलती कर्मसाधना
भक्ति ज्ञान श्रद्धा की सरिता
वही समझलो सात्विक कर्ता ||
क्षमाशील जो जग अनुरागी
सबमें रहकर भी वीतरागी
जिसमें साहस और निर्भयता
वही समझलो सात्विक कर्ता ||
तत्वनिष्ठ  फिर भी व्यवहारी
जिसकी हर कृति सबसे न्यारी
यश अपयश में स्थितप्रज्ञता 
वही समझलो सात्विक कर्ता ||
सिर पर बर्फ ह्रुदय मर चिंगारी
सत्य शुद्ध समतोल विचारी
सेवा धर्म नीरत नीत रहता
वही समझलो सात्विक कर्ता ||
जिसकी अनुपम धैर्य धारणा
जिससे मिलती स्वयं प्रेरणा
मृत में भी अमृत जो भरता
वही समझलो सात्विक कर्ता ||
ह्रुदय भावमय कष्टीक काया
दीनों के प्रति माँ सी माया
जिसने षड – रिपु – ओं को जीता
वही समझलो सात्विक कर्ता ||
सात्विक तेज स्वजन मन जीता
दुर्जन दोष गरल सम पीता
मुख मंडल पर सहज मधुरता
वही समझलो सात्विक कर्ता ||
मुक्त सङ् जो निर्हन्कारि
मुक्त गगन के जो संचारी
सब कुछ कर जो रहे अकरता
वही समझलो सात्विक कर्ता ||

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