Sunday, August 25, 2019

वंदे त्वां भूदेवीम् आर्य मातरम्

वंदे त्वां भूदेवीम् आर्य मातरम्
जयतु जयतु पदयुगलम् ते निरन्तरम्
वंदे मातरम् ॥

शुभ्र-शरच्चंद्र-युक्त-चारु यामिनीम्
विकसित-नव-कुसुम-मृदुल-दाम शोभिनीम्
मंदस्मितयुक्त-वदन मधुर भाशिणीम्
सुजलाम् सुफलाम् सरलाम्
शिव-वरदाम् चिर-सुखदाम्
मुकुलरदाम् आर्य मातरम् ॥

हिम-नगजाम् स्वाभिमान-बुद्धि दायिनीम्
सह-पृतनाम् अमित-भुजाम्-तनय तारिणीम्
अमितामित-कोटि-कंठ-जय निनादिनीम्
कमलाम् अमलाम् अतुलाम्
बल-करणीम् रिपु-हरणीम्
मद-दमनीम् आर्य मातरम् ॥

धर्मस्त्वम् शर्म-त्वं त्वं यशोबलम्
शक्तिस्त्वं भक्तिस्त्वं कर्म-चाखिलम्
प्रति सदनं प्रति माते त्वं महा फलम्
धरणीम् भरणीम् जननीम्
कवि प्रतिभाम् मति सुलाभाम्
जगदम्बा राष्ट्र मातरम् ॥

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