शत नमन केशव
शत नमन केशव चरण में
शत नमन केशव चरण में,
शत नमन केशव चरण में
देश में घनघोर तम था,
मातृ भू की दुर्दशा थी
आत्मविस्मृत हम सभी थे,
कुछ न जीवन की दिशा थी
घोर तम में भी तुम्हारे,
स्वप्न स्वर्णिय था नयन में………।१
तुम सखा थे बंधु तुम थे,
मार्गदर्शक भी तुम्हीं थे
मंत्र द्ष्टा तंत्र सृष्टा,
संगठन मर्मज्ञ तुम थे
आप अपनी ही कृति से,
बस गये प्रत्येक मन में…२
देश फिर यह विश्व गुरू हो,
संगठन नूतन बनाया
और माधव सा विलक्षण,
दिव्य था प्रतिबिंब पाया
श्वास अम्तिम भी समर्पित,
मातृ भू के उन्नयन में……।३
धन्य हो जीवन हमारा..,
अंश भी तब पा सके जो
स्वप्न जो छोडा अधूरा,
पूर्ण निश्चय हम करें वो
राष्ट्र्भक्ति को जगाने,
हम बढें गिरि ग्राम वन मैं…।४
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