भारत माँ का मान बढाने बढ़ते माँ के मस्ताने ।
कदम-कदम पर मिल-जुल गाते वीरों के व्रत के गाने ॥धृ॥
ऋषियों के मन्त्रों की वाणी भरती साहस नस-नस में।
चक्रवर्तियों की गाथा सुन, नहीं जवानी है बस में।
हर-हर महादेव के स्वर से विश्व-गगन को थर्राने ॥१॥
हम पर्वत को हाथ लगाकर संजीवन कर सकते हैं,
मर्यादा बनकर असुरों का बलमर्दन कर सकते हैं;
रामेश्वर की पूजा करके जल पर पत्थर तैराने ॥२॥
जरासंध छल-बल दिखला ले, अंतिम विजय हमारी है;
भीम-पराक्रम प्रकटित होगा, योगेश्वर गिरधारी है।
अर्जुन का रथ हाँक रहा जो, उसके हम हैं दीवाने ॥३॥
हिरण्याक्ष का वक्ष चीर दे, नरसिंह की दहाड लिये
कालयवन का काल बने जो, योगेश्वर की नीति लिये
चक्र सुदर्शन की छाया मे, गीता अमृत बरसाने || ४ ||
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