Sunday, August 25, 2019

स्वयं प्रेरणा से माता की सेवा का व्रत धारा है

स्वयं प्रेरणा से

स्वयं प्रेरणा से माता की
सेवा का व्रत धारा है
सत्य स्वयमसेवक बनने का
सतत प्रयत्न हमारा है||धृ||
देश भक्ति अधिकार जन्म से
जागृत हो कर जाना है
धर्मं भूमि सूत हिंदू हूँ मैं
हमने यहाँ पहिचाना है
जीवन मरण सदा क्षण क्षण में
यहाँ स्वदेश ही प्यारा है ||
प्यार नहीं व्यापार हमारा
पुरस्कार की चाह नहीं
उपहारों का मोह नहीं
जय हारों की परवाह नहीं
अंहकार को दूर रखेंगे
प्रभु का सदा सहारा है ||
नित्य नियम से शाखा जाते
गंगा गोते खाने को
संस्कारों से पल पल अपने
तन मन को पुलाकाने को
आत्मा विजय के हेतु स्वयं का
यहाँ अनुशासन सारा है ||
हम समाज के चेतन प्रहरी
घर घर पहुँच जगायेंगे
गली गली में नगर गाँव में
दीप से दीप जलाएंगे
हिंदू धर्मं हो वैभव पूरित
जीवन लक्ष्य विचारा है||

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