Sunday, August 25, 2019

बढते जाते देखो हम बढते ही जाते

बढते जाते देखो

बढते जाते देखो हम बढते ही जाते ॥धृ॥
उज्वलतर उज्वलतम होती है
महासंघटन की ज्वाला
प्रतिपल बडती ही जाती है
चंडी के मुंडों की माला
येह नागपुर से लगी आग
ज्योतित भारत मा का सुहाग
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
दिश दिश गूंजा संघटण राग
केशव के जीवन का पराग
अंतस्थल की अवृद्ध आग
भगवा ध्वज का संदेश त्याग
वन विजनकान्त नगरीय शान्त
पंजाब सिंधु संयुक्त प्रांत
केरल कर्नाटक और बिहार
कर पार चला संघटन राग॥१॥
हिन्दु हिन्दु मिलते जाते....
यह माधव अथवा महादेव ने
जटा जूट में धारण कर
मस्तक पर धर झर झर नीर्झर
आप्लावित तन मन प्राण प्राण
हिन्दु ने नीज को पेहचाना
कर्तव्य कर्म शर सन्धाना
है ध्येय दूर संसार क्रूर मद मत्त चूर
पथ भरा शूल जीवन दुकूल
जननी के पग की तनीक धूल
माथे पर ले चल दिये सब मद माते ॥२॥

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