शिव तो जागे किन्तु देश का शक्ती जागरण शेष है ।
देव जुटे यत्नोमें लेकिन असुर निवारण शेष है
वक्ष विदारण शेष है ॥धृ॥
संघे शक्ती कलौ युगे यह जन मन का विश्वास है।
पौरुष ही आधार सत्य का इसका भी आभास है।
सामुहिक आर्यत्व शक्ती का आयुध धारण शेष है ॥
यमुना दूषित गंगा मैली रामजन्मभू खिन्न है ।
रघुकुल रीती भुला-ई हमने भा-ई भा-ई भिन्न है ।
गोरा शासन गया दास्य का जड का कारण शेष है ॥
अबला अब भी नारी बेबस अर्जुन भ्रम मे ग्रस्त है
हुये मुग्ध अभिमन्यु व्युह मे धर्म होट मे मस्त है
द्रुपद सुता का चीर उतरता संकट तारण शेष है ॥
इस धरती की हिन्दु शक्ती को फिर चेतन होना होगा
दिव्यायुध आभूषित होकर असमंजस खोना होगा
शंखनाद हो चुका युद्ध का जय उच्चारण शेष है ॥
Sunday, August 25, 2019
शिव तो जागे किन्तु देश का शक्ती जागरण शेष है
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