विजय पथे चाल रे
सत्य पथे चाल रे
देश र आह्वान .. देश र आह्वान। ..
शक्त करि मांसपेशी हाते धरि साज रे
कंठु झरू विजय र गान ||
गंगा बहे जेउँ देशरे
हिमालय मुकुट शिरे
सागर लोटे रे
जाहार पय रे
रख सेही देश र मान ||
जेउँ देश बुकुर परे
देवतांक आशीष झरे
सत्य बल रे , धर्म बल रे
रख सेही देश र मान ||
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