हे जन्मभूमि भारत,हे कर्मभूमि भारत
हे वंदनीय भारत,अभिनंदनीय भारत !!
जीवन सुमन चढ़ाकर आराधना करेंगे
तेरी जनम-जनम भर हम अर्चना करेंगे
हम वंदना करेंगे…॥धृ॥
महिमा महान तू है,गौरव निधान तू है
तू प्राण है हमारी,जननी समान तू है
तेरे लिये जियेंगे,तेरे लिये मरेंगे
तेरी जनम-जनम भर,हम अर्चना करेंगे
हम वंदना करेंगे…॥१॥
जिसका मुकुट हिमालय,जग जगमगा रहा है
सागर जिसे रतन की,अॅंजुलि चढ़ा रहा हे
ये देश है हमारा, ललकार कर कहेंगे
उस देश के बिना हम,जीवित नही रहेंगे
हम वंदना करेंगे…॥२॥
जो संस्कृति अभी तक दुर्जेय सी बनी है
जिसका विशाल मंदिर,आदर्श का धनी है
उसकी विजय-ध्वजा ले हम विश्व में चलेंगे
सुर संस्कृति पवन बन हर कुंज में बहेंगे
हम वंदना करेंगे...॥३॥
शाश्वत स्वतंत्रता का,जो दीप जल रहा है
आलोक का पथिक जो,अविराम चल रहा है
विश्वास है कि पल भर,बुझने उसे न देंगे
उस दीप की शिखा को,ज्योतित सदा रखेंगे
हम वंदना करेंगे…॥४॥
Saturday, August 24, 2019
हे जन्मभूमि भारत हे कर्मभूमि भारत
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